उत्तराखंड की विविधता को दर्शाता काफल और उसके औषधीय गुण

'काफल' उत्तराखण्ड  के जंगलों में पाया जाने वाला औषधियों से भरपूर फल - 







काफल का पेड़ - 

काफल का पेड़ उत्तराखण्ड के जंगलों के साथ साथ उत्तर भारत के कई इलाकों में पाया जता है , इन छोटे रसीले कंचे  से भी छोटे आकार के फलों का उत्तराखंड में बहुत अधिक महत्व है ,पारंपरिक रूप से भी और औषधियों के रूप में भी ।काफल का फल जब कच्चा होता है तो हरे रंग का और पकने के बाद लाल रंग का हो जाता है ,खाने में बेहद स्वादिष्ट ये फल ठंडे इलाके में अधिक मिलता है ।

काफल का वानस्पतिक नाम - मिरीका एस्कुलेंटा

काफल कौन से समय में खाने योग्य होता है - 

काफल एक पहाड़ी फल है , यह ग्रीष्म ऋतु में होता है लगभग जून के महीने में पक कर तैयार हो जाता है ।

क्या काफल का सिर्फ फल खाने योग्य होता है? 

नहीं, काफल के फल को खाने के अलावा कई और उपयोग और फायदे है , काफल के फल के अंदर एक गुठली होती है जिसका तेल बनता है , जो कई बीमारियों से राहत देता है , काफल को सुखाकर चूर्ण बना कर भी इस्तेमाल किया जाता है ।

काफल का फल कौन कौन सी स्वास्थ्य समस्याओं में मददगार है?

उत्तराखंड में कई ऐसे औषधीय गुणों की वनस्पतियां पाई जाती हैं ,और काफल उन्हीं औषधीय पेड़ो में से एक है , इसमें कई औषधीय गुणों का समावेश होता है जैसे - 

काफल  स्किन के लिए फायदेमंद होता है- काफल में एंटी ऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं जिसके कारण ये हमारी स्किन के छिद्रों को स्वस्थ बनाए रखने में मददगार साबित होता है

(2)- काफल में एंटी माइक्रबियल गुण होते हैं - 

जी हां काफल में भरपूर मात्रा में एंटी माइक्रबियल गुण होते हैं जो हमें बैक्टीरिया आदि से बचाते हैं । 

(3)- काफल में कौन कौन से प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं?

(1)- मैरिकेटिन 
(2)- ग्लाइकोसाइड्स

(4)- काफल कौन कौन से रोगों में लाभदायक होता है? 

(1)- एनीमिया 
(2)- अस्थमा
(3)- दस्त 

(4)- जुकाम - बुखार 

(5)- यकृत संबंधी बीमारी 
(6)- कैंसर जैसी बीमारियों को होने से बचाता है 

(5)- क्या यह सर दर्द में भी कामगार है ? 

जी हां काफल से निकलने वाला तेल माइग्रेन में मददगार साबित होता है, इसके तेल की हल्की मालिश से माइग्रेन जैसे खतरनाक दिक्कत भी दूर हो सकती है।

(6)- सर्दी जुखाम में - 

काफल के पेड़ की छाल का चूर्ण बनाकर सूंघने से सर्दी जुकाम ठीक होता है।

(7)- आंखो के लिए - काफल से विटामिन ए मिलता है जो रतौंधी में मददगार साबित होता है।

(8) पैरालिसिस में भी कामगार ?

काफल के तेल की मालिश करने से  पैरालिसिस में भी मदद मिलती है ।

काफल उत्तराखंड की विविधता का प्रतीक है , उत्तराखंड की खूबसूरती के साथ साथ यहां के पेड़ पौधे औषधीय पौधों हमेशा से आकर्षण का केन्द्र बने रहे है ,जिसमे खासा आकर्षण काफल के प्रति है ,आइए अपने राज्य की अपने क्षेत्र की इस धरोहर को मिलकर संजो कर रखें।

पढ़ने के लिए सभी का धन्यवाद ! अगर आपको लेख पसंद आता है तो कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर भी करें । ' जय उत्तरखंड '

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